ग़ुम हुआ आज तन्हाई में जो ,
कल फिर महफ़िल में चमकेगा ।
छाई रात अँधेरी अमावस की ,
चाँद रात आफ़ताब फिर चमकेगा ।
शबनम भी होगी साथ साथ ,
सितारों का दिल भी मचलेगा ।
होंगे जवां अरमां फिर सारे ,
आफ़ताब फिर चमकेगा ।
उठेंगी निगाहें आसमां पर जमाने की ,
बदलियों से आफ़ताब जब निकलेगा ।
ख़त्म होंगे यह अँधेरे भी एक दिन ,
आफ़ताब आसमां पे फिर चमकेगा ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@...
कल फिर महफ़िल में चमकेगा ।
छाई रात अँधेरी अमावस की ,
चाँद रात आफ़ताब फिर चमकेगा ।
शबनम भी होगी साथ साथ ,
सितारों का दिल भी मचलेगा ।
होंगे जवां अरमां फिर सारे ,
आफ़ताब फिर चमकेगा ।
उठेंगी निगाहें आसमां पर जमाने की ,
बदलियों से आफ़ताब जब निकलेगा ।
ख़त्म होंगे यह अँधेरे भी एक दिन ,
आफ़ताब आसमां पे फिर चमकेगा ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@...
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