समय कटता जाता है ,
बचपन लौटकर आता है।
इस तरह यूँ गुजरा वक़्त,
लौटकर फिर यूँ आता है।
सीखा अँगुली पकड़ चलना,
मुझसे जो इस दुनियाँ में ।
वो आज दुनियाँ के सँग ,
मुझे चलना सिखाता है।
..विवेक दुबे"निश्चल"@...
बचपन लौटकर आता है।
इस तरह यूँ गुजरा वक़्त,
लौटकर फिर यूँ आता है।
सीखा अँगुली पकड़ चलना,
मुझसे जो इस दुनियाँ में ।
वो आज दुनियाँ के सँग ,
मुझे चलना सिखाता है।
..विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें