यह लव ख़ामोश क्यों ।
यूँ चाँद निग़ाह पोश क्यों ।
हुस्न तर है चाँदनी में ,
चाँद से ऐतराज़ क्यों ।
उतरी शबनम जमीं पर ,
निगाहों से बरसात क्यों ।
चाँद है दामन में तेरे ,
सितारों की चाह क्यों ।
तर हुआ तसब्बुर में ,
निगाह-ऐ-नक़ाब क्यों ।
बिखरी खुशबू इश्क़ की,
ज़ुल्फ़ों में गुलाब क्यों ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
यूँ चाँद निग़ाह पोश क्यों ।
हुस्न तर है चाँदनी में ,
चाँद से ऐतराज़ क्यों ।
उतरी शबनम जमीं पर ,
निगाहों से बरसात क्यों ।
चाँद है दामन में तेरे ,
सितारों की चाह क्यों ।
तर हुआ तसब्बुर में ,
निगाह-ऐ-नक़ाब क्यों ।
बिखरी खुशबू इश्क़ की,
ज़ुल्फ़ों में गुलाब क्यों ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
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