मशविरे हज़ार मिलते हैं ।
सरे राह यार मिलते हैं ।
जीतना है ख़ुद से ख़ुद को,
मौके बार बार मिलते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
चला रसातल को मानव ।
हावी होते अब दानव ।
बातें करते जो बड़ी बड़ी,
हैं वो बस रद्दी कागज़ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
इतर नही मैं दुनियाँ से ।
कायम हूँ मैं दुनियाँ से ।
रोता हूँ मैं भी हँसता हूँ ,
मिलकर इस दुनियाँ से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
*इतर* - *भिन्न*
....
वे-मौके पर जो याद करे ,
वो सच्चा मित्र कहलाए ।
मौके पर जो साथ चले ,
वो स्वार्थ सिध्द को आए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सरे राह यार मिलते हैं ।
जीतना है ख़ुद से ख़ुद को,
मौके बार बार मिलते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
चला रसातल को मानव ।
हावी होते अब दानव ।
बातें करते जो बड़ी बड़ी,
हैं वो बस रद्दी कागज़ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
इतर नही मैं दुनियाँ से ।
कायम हूँ मैं दुनियाँ से ।
रोता हूँ मैं भी हँसता हूँ ,
मिलकर इस दुनियाँ से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
*इतर* - *भिन्न*
....
वे-मौके पर जो याद करे ,
वो सच्चा मित्र कहलाए ।
मौके पर जो साथ चले ,
वो स्वार्थ सिध्द को आए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें