स्वप्न सलोने , जागे कुछ सोए से ,
यादों के बदल , खोए खोए से ।
पोर नयन तन , कुछ मोती ढलके ,
कुछ हँसते से, कुछ रोए रोए से ।
जीत लिया सब , जिसकी खातिर ,
उसकी ही ख़ातिर , हार पिरोए से ।
सँग सबेरे उठ , फिर चलना होगा ,
रात अँधेरी , आँखे भर रोए रोए से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@....
यादों के बदल , खोए खोए से ।
पोर नयन तन , कुछ मोती ढलके ,
कुछ हँसते से, कुछ रोए रोए से ।
जीत लिया सब , जिसकी खातिर ,
उसकी ही ख़ातिर , हार पिरोए से ।
सँग सबेरे उठ , फिर चलना होगा ,
रात अँधेरी , आँखे भर रोए रोए से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@....
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