आँचल की वो छाँव घनी थी।
दुनियाँ में पहचान मिली थी ।
छुप जाता तब तब उस आँचल में,
जब जब दुनियाँ अंजान लगी थी।
उस आँचल की छोटी सी परिधि से ,
इस दुनियाँ की परिधि बड़ी नही थी।
हो जाता "निश्चल" निश्चिन्त सुरक्षित ।
उस ममता के आँचल में चैन बड़ी थी।
.....विवेक दुबे "निश्चल"@....
दुनियाँ में पहचान मिली थी ।
छुप जाता तब तब उस आँचल में,
जब जब दुनियाँ अंजान लगी थी।
उस आँचल की छोटी सी परिधि से ,
इस दुनियाँ की परिधि बड़ी नही थी।
हो जाता "निश्चल" निश्चिन्त सुरक्षित ।
उस ममता के आँचल में चैन बड़ी थी।
.....विवेक दुबे "निश्चल"@....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें