चले जाएंगे एक दिन,
अहसास बिखेरकर ।
सिमट जाएंगे हम ,
आभास सिमेटकर ।
रखना साथ यादों को ,
यादों में लिपेटकर ।
आती है ज़िंदगी हरदम ,
ज़िंदगी को हारकर ।
पाती है रूह ज़िस्म ,
ज़िस्म को जीतकर ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
अहसास बिखेरकर ।
सिमट जाएंगे हम ,
आभास सिमेटकर ।
रखना साथ यादों को ,
यादों में लिपेटकर ।
आती है ज़िंदगी हरदम ,
ज़िंदगी को हारकर ।
पाती है रूह ज़िस्म ,
ज़िस्म को जीतकर ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें