शमा जली अंधेरों की कमी है।
देखें हवा किधर को चली है ।
दिए आईने ने हमे सहारे हैं।
हुए जब आईने के हवाले हैं ।
सहारा दे सच के दामन का,
झूठ के सारे नक़ाब उतारे हैं।
झूठ सच कुछ भी नही।
सब ख़्याल हैं ख़यालों के ।
शमा लड़ी हवा से उजालों तक ,
अब हवा तेरे हवाले है ।
..... दुबे विवेक"निश्चल"@...
देखें हवा किधर को चली है ।
दिए आईने ने हमे सहारे हैं।
हुए जब आईने के हवाले हैं ।
सहारा दे सच के दामन का,
झूठ के सारे नक़ाब उतारे हैं।
झूठ सच कुछ भी नही।
सब ख़्याल हैं ख़यालों के ।
शमा लड़ी हवा से उजालों तक ,
अब हवा तेरे हवाले है ।
..... दुबे विवेक"निश्चल"@...
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