हे माँ ज्ञानदा ज्ञान दो ,
शब्दों का वरदान दो ।
दूर रहूँ अभिमान से ,
लेखन का स्वाभिमान दो ।
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हे माँ ज्ञानदा ऐसा वर दो ।
हृदय ज्ञान प्रकाश भर दो ।
निवास कलम में कर लो ।
शब्दों में आशीष भर दो।
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सत्य पर चलता जाऊँ ।
सत्य से मैं न घबराऊँ ।
लिख जाऊँ मैं कुछ ऐसा ।
शब्द अमर सा हो जाऊँ ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"©..
शब्दों का वरदान दो ।
दूर रहूँ अभिमान से ,
लेखन का स्वाभिमान दो ।
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हे माँ ज्ञानदा ऐसा वर दो ।
हृदय ज्ञान प्रकाश भर दो ।
निवास कलम में कर लो ।
शब्दों में आशीष भर दो।
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सत्य पर चलता जाऊँ ।
सत्य से मैं न घबराऊँ ।
लिख जाऊँ मैं कुछ ऐसा ।
शब्द अमर सा हो जाऊँ ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"©..
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