किस तरह करूँ,
होंसले की बात ।
आज तो सूरज भी ,
है अँधेरे के साथ ।
स्याह रंगीन उजाले आज ।
दिनकर पैर तले छाले हुए ।
भूख मिटे तो मिटे कैसे ,
टुकड़े रोटी के निवाले हुए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
होंसले की बात ।
आज तो सूरज भी ,
है अँधेरे के साथ ।
स्याह रंगीन उजाले आज ।
दिनकर पैर तले छाले हुए ।
भूख मिटे तो मिटे कैसे ,
टुकड़े रोटी के निवाले हुए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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