समा रहा है वर्तमान ,
अतीत के वर्तन में ।
भरता नही अतीत ,
रीतते वर्तमान जल से ।
तप्त शिलाएं वर्तमान की,
ठंडी होतीं अतीत हिमकण से ।
चलता उजास सँग तपते तपते ,
साँझ जीत रही फिर दिनकर से ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
अतीत के वर्तन में ।
भरता नही अतीत ,
रीतते वर्तमान जल से ।
तप्त शिलाएं वर्तमान की,
ठंडी होतीं अतीत हिमकण से ।
चलता उजास सँग तपते तपते ,
साँझ जीत रही फिर दिनकर से ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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