न सुर है न ताल है ।
जिंदगी बेजार है ।
बदला सा आज,
हर किरदार है ।
लिखी कहानी तब ,
अपने हाथों से ।
लिखता कोई और ,
अब उपसंहार है ।
बस हार ही हार है ।
जीत का प्रतिकार है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
जिंदगी बेजार है ।
बदला सा आज,
हर किरदार है ।
लिखी कहानी तब ,
अपने हाथों से ।
लिखता कोई और ,
अब उपसंहार है ।
बस हार ही हार है ।
जीत का प्रतिकार है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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