मुझको ऐसा वर दो राधेय,
अहंकार को हर लो राधेय ।
स-विनय रहूँ सदा ही मैं,
प्रतिकार को हर लो राधेय ।
चल जाऊँ सत्य पथ पर,
ऐसा पथ गढ़ दो राधेय ।
याद रहो तुम मुझे सदा ,
एकाकी कर दो राधेय ।
इस सँसार समर में ,
तुझको बिसारकर भी,
न बिसरा पाऊँ कभी ,
कृपा इतनी कर दो राधेय ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
अहंकार को हर लो राधेय ।
स-विनय रहूँ सदा ही मैं,
प्रतिकार को हर लो राधेय ।
चल जाऊँ सत्य पथ पर,
ऐसा पथ गढ़ दो राधेय ।
याद रहो तुम मुझे सदा ,
एकाकी कर दो राधेय ।
इस सँसार समर में ,
तुझको बिसारकर भी,
न बिसरा पाऊँ कभी ,
कृपा इतनी कर दो राधेय ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें