मुड़ जाना है , बूंद बूंद उड़ जाना है ।
एक ठिकाना है,ज़ीवन आना जाना है ।
करता है क्यों मनमानी तू बन्दे ,
साथ नही कुछ, लेकर जाना है ।
जागीर यही है बस शब्दों की ,
शब्द शब्द रच बस जाना है ।
याद रहें आते कल तक जो ,
शब्द कोई ऐसे गढ़ जाना है ।
अंबर से आती बूंदों को ,
उर्वी की प्यास बुझाना है ।
सागर की इन बूंदों को ,
फिर साग़र हो जाना है ।
ज़ीवन बस आना जाना है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
एक ठिकाना है,ज़ीवन आना जाना है ।
करता है क्यों मनमानी तू बन्दे ,
साथ नही कुछ, लेकर जाना है ।
जागीर यही है बस शब्दों की ,
शब्द शब्द रच बस जाना है ।
याद रहें आते कल तक जो ,
शब्द कोई ऐसे गढ़ जाना है ।
अंबर से आती बूंदों को ,
उर्वी की प्यास बुझाना है ।
सागर की इन बूंदों को ,
फिर साग़र हो जाना है ।
ज़ीवन बस आना जाना है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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