फ़ासला-ऐ-मंज़िल बेहिसाब हों ।
हौंसले मगर लाजवाब हों।
जीतकर ख़ुद से ख़ुद को ,
ख़ुद के ही शहज़ाद हों ।
.... विवेक दुबे ©...
सिसकते जज़्बात थे ।
रोते नही हालात थे ।
थे सफ़र मौजों के ,
साहिल नही पास थे।
..... विवेक दुबे "निश्चल"©..
हौंसले मगर लाजवाब हों।
जीतकर ख़ुद से ख़ुद को ,
ख़ुद के ही शहज़ाद हों ।
.... विवेक दुबे ©...
सिसकते जज़्बात थे ।
रोते नही हालात थे ।
थे सफ़र मौजों के ,
साहिल नही पास थे।
..... विवेक दुबे "निश्चल"©..
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