सीप ने जब मोती जना होगा ।
तब दर्द बे इन्तेहाँ सहा होगा ।
अगले पल देख मोती की चमक ,
सीप का दर्द कुछ कम हुआ होगा ।
------- ------- ---------
क्या मोती ने दर्द सीप का समझा होगा ।
वो तो हाथों हाथ मचल रहा होगा ।
परख़ रहीं होंगी नजरें ज़माने की ,
और वो अंगुली में नगीना बन जड़ा होगा ।
मोती तो अंगुली में नगीना बन जड़ा होगा ।
-------- ------ ----------
..... विवेक दुबे "निश्चल"©.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें