शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

यह रंग सुनहले फ़ागुन के

 यह रंग सुनहरे फ़ागुन के ।
 धुँधले धुँधले बिन साजन के ।
 टेसू फूले मन भावन से ।
 झड़ते सूने आँगन में ।
यह रंग सुनहरे फ़ागुन के..

 रंग प्रीत भरे पिचकारी में ।
 चुप चाप खड़ी लाचारी में।
 सूने नैना राह राह तकें।
 रंग नही अब इन फागों में ।
  यह रंग सुनहरे फ़ागुन के,...... 

तपता मन शीतल रातों में ,
चँदा चलता ज्यों अंगारों में ।
 शीतल बसन्त बयारों में ,
  तपतीं साँसे बस साँसों में ।
यह रंग सुनहरे फ़ागुन के....
 ..... विवेक दुबे "निश्चल"@......

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