सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

अक्षर अक्षर बिखरी ज़िन्दगी

मस्त है ज़िंदगी पस्त ज़िंदगी है।
 अक्षर अक्षर बिखरी है ज़िंदगी ।

ओ कवि तू क्यों गाता है।
 बे-वक़्त ही चिल्लाता है।
  सोया है वो बे-फिक्री से
  वक़्त करवट ले जाता है।
 ....

....विवेक दुबे"निश्चल"©..,.

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...