रोक कर हर आवेश को ।
कर सत्य के समावेश को ।
बाँधकर आशाओं के सेतु ,
सींच अन्तर्मन के वेश को ।
...
आंत हीन इन अंतो से ।
लगते खुलते फन्दों से।
फँसते पंक्षी उड़ते पंक्षी ,
अपने अपने कर्मो से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©...
कर सत्य के समावेश को ।
बाँधकर आशाओं के सेतु ,
सींच अन्तर्मन के वेश को ।
...
आंत हीन इन अंतो से ।
लगते खुलते फन्दों से।
फँसते पंक्षी उड़ते पंक्षी ,
अपने अपने कर्मो से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©...
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