मिटा कर मुझे मेरे वजूद से।
देखते है मुझे बड़े ख़ुसूस से।
उजड़ा चमन अपने अंदाज से,
देखते बागवां को क्यों क़ुसूर से ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"© ....
देखते है मुझे बड़े ख़ुसूस से।
उजड़ा चमन अपने अंदाज से,
देखते बागवां को क्यों क़ुसूर से ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"© ....
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