आशाओं के दीप जलाता हूँ ।
खुद में खुद खो जाता हूँ ।
कुछ कह जाता हूँ ।
भावो में बह जाता हूँ ।
भावो से भिड जाता हूँ ।
खुद से खुद टकराता हूँ ।
मरता हूँ फिर जी जाता हूँ ।
फिर नई रौशनी पता हूँ ।
फिर एक दीप जलाता हूँ ।
आशाओं में फिर खो जाता हूँ ।
आशाओं से आशाओं के ,
दीप जलाता हूँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©....
खुद में खुद खो जाता हूँ ।
कुछ कह जाता हूँ ।
भावो में बह जाता हूँ ।
भावो से भिड जाता हूँ ।
खुद से खुद टकराता हूँ ।
मरता हूँ फिर जी जाता हूँ ।
फिर नई रौशनी पता हूँ ।
फिर एक दीप जलाता हूँ ।
आशाओं में फिर खो जाता हूँ ।
आशाओं से आशाओं के ,
दीप जलाता हूँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©....
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