उलझ गए कुछ यूँ बातों के बटवारों में ।
ग़ुम हुए कुछ यूँ शब्दों के उजियारों में ।
प्रश्न बना खड़ा है जीवन पल प्रति पल ,
अनसुलझे प्रश्नों के अंधियारे गलियारों में ।
जगमग आकांक्षाएं चमक चाँदनी सी ,
घन घोर निशाओं के गहरे अंधियारों में ।
खोजा दिन प्रति दिन जीवन पथ पर ,
आशाओं के धुँधले से उजियारों में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
ग़ुम हुए कुछ यूँ शब्दों के उजियारों में ।
प्रश्न बना खड़ा है जीवन पल प्रति पल ,
अनसुलझे प्रश्नों के अंधियारे गलियारों में ।
जगमग आकांक्षाएं चमक चाँदनी सी ,
घन घोर निशाओं के गहरे अंधियारों में ।
खोजा दिन प्रति दिन जीवन पथ पर ,
आशाओं के धुँधले से उजियारों में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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