यह जिंदगी-ऐ-किताब पुरानी है।
हर सफ़हे पर एक नई कहानी है।
इसे पलटना सम्हाल कर तुम जरा,
मेरे निशां की एक यही निशानी है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©....
हर सफ़हे पर एक नई कहानी है।
इसे पलटना सम्हाल कर तुम जरा,
मेरे निशां की एक यही निशानी है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"©....
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