बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

हे माह देव

  ॐ हृदय राखिए, ॐ करे शुभ काज ।
  ॐ श्रीगणेश हैं ,    ॐ शिव सरकार ।

 जो थे कल में, जो होंगे कल में।
 जो हैं पल में , जो प्रतिपल में ।
 जो थे तब भी , जो न था कुछ भी ।
 जो हैं तब भी, जो होगा सब भी ।

 सूक्ष्म शिव , अति विशाल शिव हैं ।
 काल शिव,    महाकाल   शिव हैं।
 प्रतिपाल शिव , प्रलयंकार शिव हैं ।
 आकर शिव , निराकार ही शिव हैं ।

 वो हर हलचल में, सृष्टि के कण कण में।
 वो सदा शिव हैं, सत्य सनातन शिव हैं ।

हे रुद्रनाथ  ,  नागनाथ    ,  मंगलेश्वर।
हे उमापति , कैलाशपति , गौरीशंकर।
हे शिवाकांत , महादानी  ,  रामेश्वर ।
हे दीनानाथ , जटाधारी ,   जोगीश्वर।
 हे मणि महेश, अमर दानी,अभ्यंकर।
हे जगत पिता,औघड़दानी,अतिभयंकर।
 हे महाकाल  , त्रिपुरारी   ,  वृषशेश्वर। 
 हे महाज्ञान  , महा माया ,  शिव शंकर ।

        तुम माह देव  महेश्वर ,
        तुम देते मनचाहा वर ।

   हे महाकाल , हे  त्रिपुरारी ,
    मैं आया ,  शरण तुम्हारी ।
    हे माया शंकर , महाज्ञानी,
    माया तेरी ,न जाए बखानी ।

  जो सहज भाव, तुम्हे बुलाता ,
  हे दया शंकर  ,औघड़ दानी ।
   खुशियाँ ,   उसके जीवन मे  ,
   एक पल में,  आन समातीं ।

   सुनो विनय  , हे जटा धारी ,
   रखियो तुम  , लाज़ हमारी ।
   आया मैं, प्रभु  , द्वार तुम्हारे,
   भक्ति भाव, हृदय भर भारी।

   हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
   हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
   तेरे    चरणों   का   मैं  अनुचारी ।
    तेरे   चरणों   का  मैं  अनुचारी ।

    ..... विवेक दुबे "निश्चल"© .....

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