छपे नही अखवारों में ,
बिके नही बाजारों में।
रहते गुमनामी के गलियारों में।
लिखते पढ़ते हम अपने यारों में ।
नाम कलम "निश्चल" बस उनका ,
जो बिकते सत्ता के गलियारों में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
बिके नही बाजारों में।
रहते गुमनामी के गलियारों में।
लिखते पढ़ते हम अपने यारों में ।
नाम कलम "निश्चल" बस उनका ,
जो बिकते सत्ता के गलियारों में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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