याद रखो बचपन को ।
तुम न देखो दर्पण को ।
यह झुर्रियाँ उम्र की नही ।
दे गया है वक़्त जाते जाते ।
इस सच को मान न मानो आपनी हार ।
यह जोश जिंदगी का ही दौलत अपार ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"©......
तुम न देखो दर्पण को ।
यह झुर्रियाँ उम्र की नही ।
दे गया है वक़्त जाते जाते ।
इस सच को मान न मानो आपनी हार ।
यह जोश जिंदगी का ही दौलत अपार ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"©......
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