चलता चल बस तू चलता चल ।
मंज़िल ख़ुद आएगी चलकर ।
न देख कभी पीछे मुड़कर ।
फूल कहीं काँटे हों राहों पर ।
बिसराता चल हर बीता कल ।
भोर किरण संग आता सुनहरा कल ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
मंज़िल ख़ुद आएगी चलकर ।
न देख कभी पीछे मुड़कर ।
फूल कहीं काँटे हों राहों पर ।
बिसराता चल हर बीता कल ।
भोर किरण संग आता सुनहरा कल ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
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