अर्जुन सा प्रतिकार चाहिए,
भीम सा प्रहार चाहिए ।
हो धर्मराज सा धर्म परायण,
हों भीष्म द्रोण से सभासद।
होंगी द्रौपती यूँ ही लज़्ज़ित,
गिरधर को यह आधार चाहिए।
कुचलने फ़न साँप का,
सिर पर प्रहार चाहिए ।
...विवेक दुबे "निश्चल"@....
भीम सा प्रहार चाहिए ।
हो धर्मराज सा धर्म परायण,
हों भीष्म द्रोण से सभासद।
होंगी द्रौपती यूँ ही लज़्ज़ित,
गिरधर को यह आधार चाहिए।
कुचलने फ़न साँप का,
सिर पर प्रहार चाहिए ।
...विवेक दुबे "निश्चल"@....
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