शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

गिरधर को आधार चाहिए

अर्जुन सा प्रतिकार चाहिए,
 भीम सा प्रहार चाहिए ।
 हो धर्मराज सा धर्म परायण,
हों भीष्म द्रोण से सभासद। 
 होंगी द्रौपती यूँ ही लज़्ज़ित, 
 गिरधर को यह आधार चाहिए।
 कुचलने फ़न साँप का,
 सिर पर प्रहार चाहिए ।
...विवेक दुबे "निश्चल"@....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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