बुधवार, 14 नवंबर 2018

मुक्तक रिश्ते 548

वो खमोशी के मंजर भी,
        गहरे से हो जाते है ।

मेरे आँसू जब जब उसकी,
       आँखों में आ जाते हैं ।

दर्द छुपे इस मन के ,
      उन आँखों में छा जाते है ।

रिश्ते अन्तर्मन से ,
    पुष्पित पूजित हो जाते हैं ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 3

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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