व्यर्थ को जाने दो ।
घट भर जाने दो ।
जीत सकें मन को ,
प्रीत निखर जाने दो ।
राह निहारें नयना ,
रात गुजर जाने दो ।
भोर भरी एक आभा ,
भोर बिखर जाने दो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(12)
घट भर जाने दो ।
जीत सकें मन को ,
प्रीत निखर जाने दो ।
राह निहारें नयना ,
रात गुजर जाने दो ।
भोर भरी एक आभा ,
भोर बिखर जाने दो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(12)
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