यह कैसी गुस्ताखी कर बैठा ।
इश्क़ खुद खुदी से कर बैठा ।
चलकर भी साथ दुनियाँ के ,
तिश्निगी से दामन भर बैठा ।
लिपटा रहा अपने लिबासों में ,
अस्क़ाम असर दिल पर बैठा ।
टोकती रही रूह हर कदम ,
इनाद रूह ख़ाक धर बैठा ।
भूलकर अस्ल असर अपना ,
"निश्चल" आराईश गुरुर बैठा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(182)
खुदी -अहंकार
अस्काम - बुराइयां
इनाद - विरोध
अस्बाब - कारण
अस्ल - मूल
असर - फल परिणाम
आराईश = सजावट, सुन्दरता
इश्क़ खुद खुदी से कर बैठा ।
चलकर भी साथ दुनियाँ के ,
तिश्निगी से दामन भर बैठा ।
लिपटा रहा अपने लिबासों में ,
अस्क़ाम असर दिल पर बैठा ।
टोकती रही रूह हर कदम ,
इनाद रूह ख़ाक धर बैठा ।
भूलकर अस्ल असर अपना ,
"निश्चल" आराईश गुरुर बैठा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(182)
खुदी -अहंकार
अस्काम - बुराइयां
इनाद - विरोध
अस्बाब - कारण
अस्ल - मूल
असर - फल परिणाम
आराईश = सजावट, सुन्दरता
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