मंगलवार, 13 नवंबर 2018

गुस्ताखी कर बैठा

यह कैसी गुस्ताखी कर बैठा ।
इश्क़ खुद खुदी से कर बैठा ।

चलकर भी साथ दुनियाँ के ,
तिश्निगी से दामन भर बैठा ।

लिपटा रहा अपने लिबासों में ,
अस्क़ाम असर दिल पर बैठा ।

टोकती रही रूह हर कदम  ,
इनाद रूह ख़ाक धर बैठा ।

भूलकर अस्ल असर अपना ,
"निश्चल" आराईश गुरुर बैठा ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(182)

खुदी -अहंकार
अस्काम - बुराइयां 
इनाद - विरोध 
अस्बाब - कारण
अस्ल - मूल
असर - फल परिणाम 
आराईश = सजावट, सुन्दरता

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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