चल आज किनारा करते हैं ।
नजर अश्क़ सहारा करते है ।
तोड़कर रिश्ते पुराने सारे ,
हम इश्क़ दुवारा करते हैं ।
...
हसरत नही इरादा करते हैं ।
एक अधूरा वादा करते हैं ।
उकेरकर लफ्ज़ कलम तले ,
जज्बात-ए-बहारा करते है ।
....
एक हसरत रही इरादों में ।
छूटता रहा कुछ वादों में ।
उकेरकर लफ्ज़ कलम तले,
हम बैठे जज्बा-ए-बहारों में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(167)
नजर अश्क़ सहारा करते है ।
तोड़कर रिश्ते पुराने सारे ,
हम इश्क़ दुवारा करते हैं ।
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हसरत नही इरादा करते हैं ।
एक अधूरा वादा करते हैं ।
उकेरकर लफ्ज़ कलम तले ,
जज्बात-ए-बहारा करते है ।
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एक हसरत रही इरादों में ।
छूटता रहा कुछ वादों में ।
उकेरकर लफ्ज़ कलम तले,
हम बैठे जज्बा-ए-बहारों में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(167)
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