चलता रहा उधार ,
जिंदगी से जिंदगी की ख़ातिर ।
होता रहा व्यापार ,
खुदी से खुदी की ख़ातिर ।
खोता रहा इख़्तियार ,
दिल से दिल्लगी ख़ातिर ।
जीत सा रहा खुमार ,
निग़ाह से नमी की ख़ातिर ।
हारता रहा हर बार ,
हँसी से हँसी की ख़ातिर ।
लुटाता रहा मैं प्यार ,
खुशी से खुशी की ख़ातिर ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(9)
जिंदगी से जिंदगी की ख़ातिर ।
होता रहा व्यापार ,
खुदी से खुदी की ख़ातिर ।
खोता रहा इख़्तियार ,
दिल से दिल्लगी ख़ातिर ।
जीत सा रहा खुमार ,
निग़ाह से नमी की ख़ातिर ।
हारता रहा हर बार ,
हँसी से हँसी की ख़ातिर ।
लुटाता रहा मैं प्यार ,
खुशी से खुशी की ख़ातिर ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(9)
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