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222 222
किस्मत रब के किस्से ।
आती किस के हिस्से ।
रूठी किस्मत उससे ।
रूठा जब वो जिससे ।
टूटा नाता उससे ,
बदले जिसने रस्ते ।
निश्चल मिलता वो तो ,
जाता जो सीधे रस्ते ।
कहता है वो तुझसे ,
चलता जा तू हँस के ।
रहता मैं तो हर दम ,
मन में तेरे बस के ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(16)
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किस्मत रब के किस्से ।
आती किस के हिस्से ।
रूठी किस्मत उससे ।
रूठा जब वो जिससे ।
टूटा नाता उससे ,
बदले जिसने रस्ते ।
निश्चल मिलता वो तो ,
जाता जो सीधे रस्ते ।
कहता है वो तुझसे ,
चलता जा तू हँस के ।
रहता मैं तो हर दम ,
मन में तेरे बस के ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(16)
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