मिटते शब्द ,
सूखती स्याही ।
सिमटती अभिलाषाएं ,
अहसासों की रुसवाई ।
उखड़े से कुछ पन्नों पर ,
शेष रहीं कुछ परछाई ।
दूर रहे शब्दों से अर्थ ,
अर्थों ने शब्दों की ,
कब प्यास बुझाई ।
"निश्चल"निकट रहा कोई ,
निग़ाह पास नहीं आई ।
... विवेक दुबे"निश्चल""@...
डायरी 6(2)
सूखती स्याही ।
सिमटती अभिलाषाएं ,
अहसासों की रुसवाई ।
उखड़े से कुछ पन्नों पर ,
शेष रहीं कुछ परछाई ।
दूर रहे शब्दों से अर्थ ,
अर्थों ने शब्दों की ,
कब प्यास बुझाई ।
"निश्चल"निकट रहा कोई ,
निग़ाह पास नहीं आई ।
... विवेक दुबे"निश्चल""@...
डायरी 6(2)
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