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भाग्य भाग्य से ही हारा है ।
मिलता नही कहीं सहारा है ।
घुटतीं है अब अभिलाषाएं ,
आशाओं का नही किनारा है ।
...
इनको देखो उनको देखो ।
देखो किन किन को देखो ।
देख रहे वो अपनी मर्जी को ,
देख देख बस उनको देखो ।
..
न धर्म रहा न कर्म रहा ।
कांप रही है आज धरा ।
पियूष भरे से प्यालों में ,
कालकूट कूट कूट भरा ।
....
खोजता रहा हल हालात का ।
प्रश्न प्रश्न हर दिन आज का ।
उठाता रहा खाली घड़े काँधे पर ,
मिला न भरा घड़ा विश्वास का ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी6(14)
भाग्य भाग्य से ही हारा है ।
मिलता नही कहीं सहारा है ।
घुटतीं है अब अभिलाषाएं ,
आशाओं का नही किनारा है ।
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इनको देखो उनको देखो ।
देखो किन किन को देखो ।
देख रहे वो अपनी मर्जी को ,
देख देख बस उनको देखो ।
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न धर्म रहा न कर्म रहा ।
कांप रही है आज धरा ।
पियूष भरे से प्यालों में ,
कालकूट कूट कूट भरा ।
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खोजता रहा हल हालात का ।
प्रश्न प्रश्न हर दिन आज का ।
उठाता रहा खाली घड़े काँधे पर ,
मिला न भरा घड़ा विश्वास का ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी6(14)
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