शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

भाग्य भाग्य से ही हारा है ।

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भाग्य भाग्य से ही हारा है ।
मिलता नही कहीं सहारा है ।

घुटतीं है अब अभिलाषाएं  ,
आशाओं का नही किनारा है ।
...
इनको देखो उनको देखो ।
देखो किन किन को देखो ।

देख रहे वो अपनी मर्जी को ,
देख देख बस उनको देखो ।
.. 
न धर्म रहा न कर्म रहा ।
कांप रही है आज धरा ।

पियूष भरे से प्यालों में ,
कालकूट कूट कूट भरा ।
....
खोजता रहा हल हालात का ।
प्रश्न प्रश्न हर दिन आज का ।

उठाता रहा खाली घड़े काँधे पर ,
मिला न भरा घड़ा विश्वास का ।

...विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी6(14)

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