यूँ मुझे बदनाम न कर ।
किस्सा-ए-आम न कर ।
लाकर किनारे तक मुझे ,
तू कोई अहसान न कर ।
छोड़ तूफानों के सहारे मुझे ,
जी लूँ खुद को पहचान कर ।
दरिया जहां तक बहने दे मुझे ,
जाने दे मुझे मेरे अंजाम पर ।
खो जाएगा दरिया भी एक दिन ,
पहुंचा कर मुझे मेरे मुक़ाम पर ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(171)
किस्सा-ए-आम न कर ।
लाकर किनारे तक मुझे ,
तू कोई अहसान न कर ।
छोड़ तूफानों के सहारे मुझे ,
जी लूँ खुद को पहचान कर ।
दरिया जहां तक बहने दे मुझे ,
जाने दे मुझे मेरे अंजाम पर ।
खो जाएगा दरिया भी एक दिन ,
पहुंचा कर मुझे मेरे मुक़ाम पर ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(171)
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