शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

मत्ता छंद

मत्ता छंद
222 211 112 2

 गीतों में माँ ,तुम बस जाओ ।
ज्योती दीप्त , कलम जगाओ ।
 आया माता ,निकट तुहारे ।
 तू है दाता,  तुमहि सहारे ।

 दीनो की लाज झट बचाये ।
 सारे ही कष्ट फट हटाये ।
 माता तेरे गुन सब गायें ।
 तेरी भक्ति जन जब पायें ।

 दे दो माता सुफल सहारे ।
 आया हूँ याचक बन द्वारे ।
  दाता है तू जग जननी माँ ।
 माया तेरी शिव कथनी माँ ।

  दुर्गा हो आदि शिव शक्ति हो ।
   चंडी माया हर हर भक्ति हो ।
    तेरे ही रूप रचत माया  ।
    सारा प्रकाश जगत छाया ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(18)
Blog post 15/10/18

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...