अरमानों को रोशन कर ,
वो जश्न मनाते है ।
चिराग तले अंधियारे ,
घुटकर रह जाते है ।
गीत प्यार के ,
जब हम गाते हैं ।
बोल प्यार के ,
उन्हें नही सुहाते हैं ।
उमंग रही अब सिरहन सी ,
स्वप्नों से अब हम कतराते हैं ।
छूटे कुछ पल ज़ीवन के ,
नव ज़ीवन की छांव तले ।
"निश्चल" मन रोपित करने ,
आशाओं का ठाँव नही पाते है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(165)
वो जश्न मनाते है ।
चिराग तले अंधियारे ,
घुटकर रह जाते है ।
गीत प्यार के ,
जब हम गाते हैं ।
बोल प्यार के ,
उन्हें नही सुहाते हैं ।
उमंग रही अब सिरहन सी ,
स्वप्नों से अब हम कतराते हैं ।
छूटे कुछ पल ज़ीवन के ,
नव ज़ीवन की छांव तले ।
"निश्चल" मन रोपित करने ,
आशाओं का ठाँव नही पाते है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(165)
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