स्नेही जग माँ बरदायनी ।
ज्ञानदा धनदा सिद्धिदायनी ।
कण कण रूप तुम्हारा है ।
तम हरता प्रकाश तुम्हारा है ।
माँ तो नाम निराला है ।
माँ ही जग उजियारा है ।
माँ ही भक्ति माँ है शक्ति,
माँ ही ने जन्म सँवारा है।
भक्ति भाव से करूँ अर्चना ।
माँ यह मेरी सुनो प्रार्थना ।
भाव से जो तुम्हे पुकारे ,
पूर्ण करो मनोकामना।
क्या माँगूं मैं माँ तुमसे ,
बिन माँगे मिल जाता है।
शीश झुका तेरे चरणन में,
"निश्चल" निर्भय हो जाता है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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