रवि आया नव भोर का ,
बिखेर धबल प्रकाश ।
पुलकित मन सुधा धरा ,
श्रंगारित तन आज ।
पथ भृमण और सोर का ,
धरा पूर्ण करे आज ।
नियम सृष्टि के पाथ का ,
चली सतत निभाय ।
अभिनन्दन नव सोर का ,
माँ शक्ति के वंदन गए ।
जयकारा आदि शक्ति का ,
जग जननी लाज बचाए ।
आया नव सूरज नव भोर का
बीता एक वर्ष और सोर का ।
.... *विवेक दुबे"निश्चल"@...
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