यहाँ दिखते रहेंगे हम ।
यहाँ लिखते रहेंगे हम ।
होता नही जब तलक ,
ये कागज़ कलम ख़तम ।
जज़्बात-ऐ-तमन्ना होते नही कम ।
लफ्ज़ कागज़ पे खींचती कलम ।
उकेरकर वो नक्स हालात के ,
लड़ती जो हालात से हर दम ।
चला हूँ तलाश में मंज़िल की ,
रास्ते होते नही मगर ख़तम ।
मुड़तीं हैं गालियाँ हालात की,
उठ जाते उस और मेरे कदम ।।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
यहाँ लिखते रहेंगे हम ।
होता नही जब तलक ,
ये कागज़ कलम ख़तम ।
जज़्बात-ऐ-तमन्ना होते नही कम ।
लफ्ज़ कागज़ पे खींचती कलम ।
उकेरकर वो नक्स हालात के ,
लड़ती जो हालात से हर दम ।
चला हूँ तलाश में मंज़िल की ,
रास्ते होते नही मगर ख़तम ।
मुड़तीं हैं गालियाँ हालात की,
उठ जाते उस और मेरे कदम ।।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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