रविवार, 18 मार्च 2018

ख़्वाबों सँग सजती रजनी

ख़्वाबों सँग सजती रजनी ।
 यादों सँग   फबती रजनी ।

           दूर सुबह ले      चलती रजनी ।
           साँझ तले फिर मिलती रजनी ।

  बिछुड़ी फिर मिलती रजनी ,
  स्वप्न सलोने   गढ़ती रजनी । 

 पल पल रंग बदलती रजनी ।
 छलती बस    छलती रजनी ।

     आशाओं से        पलती रजनी ।
     अभिलाषाओं से पलटी रजनी ।

 .... विवेक दुबे "निश्चल"@..

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