उन तन्हा तन्हा रातों के।
साथ मख़मली यादों के।
सम्हलते नही ख़्याल ,
उठती गिरती साँसों के।
मेरी इस जिंदगानी की ,
किताब-ए-ज़िल्द पुरानी है ।
पलट तो सही शफा तू ,
शफा-दर-शफा कहानी है ।
सजा कर ख़्वाब जिसके ,
किताबें लिख डालीं हैं।
अश्कों की बारिश ने ,
हर किताब धो डाली है।
ज़िन्दगी भी एक ,
किताब-ऐ-कहानी है ।
बस दो अल्फ़ाज़ की ,
हिसाब-ऐ-ज़ुवानी है ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@....
साथ मख़मली यादों के।
सम्हलते नही ख़्याल ,
उठती गिरती साँसों के।
मेरी इस जिंदगानी की ,
किताब-ए-ज़िल्द पुरानी है ।
पलट तो सही शफा तू ,
शफा-दर-शफा कहानी है ।
सजा कर ख़्वाब जिसके ,
किताबें लिख डालीं हैं।
अश्कों की बारिश ने ,
हर किताब धो डाली है।
ज़िन्दगी भी एक ,
किताब-ऐ-कहानी है ।
बस दो अल्फ़ाज़ की ,
हिसाब-ऐ-ज़ुवानी है ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@....
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