जन्म न व्यर्थ बेकार करें ।
मानवता का श्रृंगार करें ।
तिमिर तले कुछ प्रकाश गढ़ें ,
ऐसे हम कुछ प्रयास करें ।
जलकर अपने स्वार्थ तले ,
जीवन अपना न बर्वाद करें ।
निकलें हम कूप कुंठाओं से ,
नदिया नीर सा विस्तार करें ।
बहकर कल कल हर पल ,
जलधि का हम श्रृंगार करें ।
खोकर अचल जल अंनत में ,
"निश्चल" वर्षा बूंदों का आधार बनें ।
जन्म न व्यर्थ बेकार करें ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
मानवता का श्रृंगार करें ।
तिमिर तले कुछ प्रकाश गढ़ें ,
ऐसे हम कुछ प्रयास करें ।
जलकर अपने स्वार्थ तले ,
जीवन अपना न बर्वाद करें ।
निकलें हम कूप कुंठाओं से ,
नदिया नीर सा विस्तार करें ।
बहकर कल कल हर पल ,
जलधि का हम श्रृंगार करें ।
खोकर अचल जल अंनत में ,
"निश्चल" वर्षा बूंदों का आधार बनें ।
जन्म न व्यर्थ बेकार करें ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
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