बुधवार, 21 मार्च 2018

जन्म न व्यर्थ बेकार करें

जन्म न व्यर्थ बेकार करें ।
मानवता का श्रृंगार करें ।

       तिमिर तले कुछ प्रकाश गढ़ें ,
       ऐसे हम कुछ प्रयास करें ।

 जलकर अपने स्वार्थ तले ,
 जीवन अपना न बर्वाद करें ।

       निकलें हम कूप कुंठाओं से ,
       नदिया नीर सा विस्तार करें ।

 बहकर कल कल हर पल ,
 जलधि का हम श्रृंगार करें ।

        खोकर अचल जल अंनत में ,
       "निश्चल" वर्षा बूंदों का आधार बनें ।

     जन्म न व्यर्थ बेकार करें ।

..... विवेक दुबे"निश्चल"@.....

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