चलता जाता तू जिस पथ पर,
पुष्प लगाता तू उस पथ पर ।
चुनता जाता पग-पग काँटे ,
निष्कंटक करता तू हर पथ ।
विश्राम न करना हे मानव,
"निश्चल" इस जीवन पथ पर ।
चलता जा निःस्वार्थ भाव से ,
पल हर पल तू जीवन पथ पर ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
पुष्प लगाता तू उस पथ पर ।
चुनता जाता पग-पग काँटे ,
निष्कंटक करता तू हर पथ ।
विश्राम न करना हे मानव,
"निश्चल" इस जीवन पथ पर ।
चलता जा निःस्वार्थ भाव से ,
पल हर पल तू जीवन पथ पर ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें