सोमवार, 19 मार्च 2018

मांग कर अश्क़ मेरे

बैचेनियाँ दिल निगाह उतार लाए हैं ।
लफ्ज़ बेजुवां आँख छलक आए हैं ।
..
 माँगकर अश्क़ मेरे हँसी बाँटने आए है ।
 वो हमें खुद से खुद यूँ काटने आए हैं ।
  ...
हाथ रंग गुलाल लाए हैं ।
            निग़ाह मलाल लाए हैं।
  रहे बेचैन आज हम ,
             वो बहुत सवाल लाए हैं ।
...
 धुल जाएगी रंगत शूलों की ,
                         टीस साथ निभाएगी ।
आती होली साल-दर-साल ,
                         होली फिर आएगी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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