दिल को ऐसी एक सौगात मिली ,
शबनम को तरसती, रात मिली ।
सहरती अपने ही उजालों से जो ,
रोशनी में ऐसी एक बात मिली ।
तन्हा नही निग़ाह से मैं अपनी ,
तन्हा साँसों में एक आह मिली ।
जीता हूँ हरदम जिनके वास्ते ,
ज़िंदगी को ऐसी एक चाह मिली ।
मिल न सकी मंजिल कहीं कभी ,
"निश्चल" को ऐसी एक राह मिली ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@.
शबनम को तरसती, रात मिली ।
सहरती अपने ही उजालों से जो ,
रोशनी में ऐसी एक बात मिली ।
तन्हा नही निग़ाह से मैं अपनी ,
तन्हा साँसों में एक आह मिली ।
जीता हूँ हरदम जिनके वास्ते ,
ज़िंदगी को ऐसी एक चाह मिली ।
मिल न सकी मंजिल कहीं कभी ,
"निश्चल" को ऐसी एक राह मिली ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@.
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