रविवार, 18 मार्च 2018

काल क्रम

समय की वेदना यही , 
कहा गया जो वही सही ।

        कसते आज कसौटी पर,
        अतीत निकाल कर ।

 गुजर गया वो स्याह ,
  सुनहला सा था कल  ,

             आता है हर आज ,
             कल से निकल कर ।


 छोड़ता आज कल को,
  देख आते कल को ।

              छोड़ता नही कभी,
              समय इस क्रम को ।

   रहा अब आज  ,
  बहुत कुछ बदल है ।

             सतत रहता गतिमान ,
             बस काल क्रम तो ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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