समय की वेदना यही ,
कहा गया जो वही सही ।
कसते आज कसौटी पर,
अतीत निकाल कर ।
गुजर गया वो स्याह ,
सुनहला सा था कल ,
आता है हर आज ,
कल से निकल कर ।
छोड़ता आज कल को,
देख आते कल को ।
छोड़ता नही कभी,
समय इस क्रम को ।
रहा अब आज ,
बहुत कुछ बदल है ।
सतत रहता गतिमान ,
बस काल क्रम तो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कहा गया जो वही सही ।
कसते आज कसौटी पर,
अतीत निकाल कर ।
गुजर गया वो स्याह ,
सुनहला सा था कल ,
आता है हर आज ,
कल से निकल कर ।
छोड़ता आज कल को,
देख आते कल को ।
छोड़ता नही कभी,
समय इस क्रम को ।
रहा अब आज ,
बहुत कुछ बदल है ।
सतत रहता गतिमान ,
बस काल क्रम तो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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