भेद भाव करतीं आँखें।
मन भरमातीं आँखें ।
साँझ तले के मौन से ,
निशा गहरतीं आँखे ।
भेद भाव करती आँखे ।
भावों में बंट जातीं आँखे।
दर्द घनेरे बादल से,
पीर नीर छलकाती आँखे।
भेद भाव करतीं आँखे ।
पल में भेद बतातीं आँखे।
गहर निशा तम सँग,
जुगनू बन जाती आँखे ।
भेद भाव करतीं आँखे।
सब कह जाती आँखें।
खुशियों के झोंकों में,
मौन तले मुस्काती आँखे।
भेद भाव करतीं आँखे ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
मन भरमातीं आँखें ।
साँझ तले के मौन से ,
निशा गहरतीं आँखे ।
भेद भाव करती आँखे ।
भावों में बंट जातीं आँखे।
दर्द घनेरे बादल से,
पीर नीर छलकाती आँखे।
भेद भाव करतीं आँखे ।
पल में भेद बतातीं आँखे।
गहर निशा तम सँग,
जुगनू बन जाती आँखे ।
भेद भाव करतीं आँखे।
सब कह जाती आँखें।
खुशियों के झोंकों में,
मौन तले मुस्काती आँखे।
भेद भाव करतीं आँखे ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
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